Computer History

Computer History

कंप्यूटर

First Computer


First Computer

कंप्यूटरों का आधार माइक्रोप्रोसेसर होते हैं। आज कभर आकार-प्रकार और क्षमता वा हैं. इनके छोटे स्वरूप बच्चों के खिलौनों में पॅकेट कैल्कुलेटर्स, इंडस्ट्रियल रोबोट और घरेलू उपकरणों आदि में भी मिलते हैं।

टाइमलाइन

1971 रॉबर्ट नॉयस गॉर्डन मूर और एंडी ग्रोव दुनिया का पहला माइक्रोप्रोसेसर इंटेल 4004 प्रस्तुत किया।

1974 इंटेल ने 8080 माइक्रोप्रोसेसर प्रस्तुत किया जिसका इस्तेमाल पहले कमर्शियल पीसी द एल्टेयर में
हुआ।

1976 एप्पल कंप्यूटर ने पहला सिंगल सर्किट बोर्ड कंप्यूटर एप्पल । प्रस्तुत किया।

1977 एप्पल ने एप्पल II नामक पहला कलर ग्राफिक्स 1993 इंटेल ने पेंटियम प्रोसेसर, माइक्रोसॉफ्ट ने
इला कंप्यूटर प्रस्तुत किया।

1981 आइबीएम ने इंटेल 8088 माइक्रोप्रोसेसर युक्त पहला पर्सनल कंप्यूटर प्रस्तुत किया, जिसका आगमन ऐसी जगत में क्रांति साबित हुआ शुगर्ट एसोसिएटस ने पकड़ी। हार्ड ड्राइव प्रस्तुत की जिससे पीसी में डाटा स्टोरेज की

1994 दुनिया भर में पर्सनल कंप्यूटरों को भेजे जाने गति तेज हुई: एडम ऑसबर्न ने पहला पोर्टेबल कंप्यूटर की संख्या 28.8 करोड़ हुई। निर्मित किया।

1982 लोटस डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन की लोटस 1 2-3 एक बेस्टसेलर एप्लीकेशन साबित हुई: ग्रिड सिस्टम्स कॉर्पोरेशन पहला बैटरी चालित लैपटॉप मार्केट में लाने को तैयार जिसके आधार पर पोर्टेबल कंप्यूटर
इंडस्ट्री की शुरुआत हुई।

1983 आइबीएम पीसी/एक्सटी ने मशहूर पीसीप्लेटफॉर्म वाला पीसी फीचर वाला आइबीएम फॉर्मेट और इंटेल प्रोसेसर, मइक्रोसॉफ्ट डॉस और एक हार्ड ड्राइव स्थापित किया। 1984 एप्पल ने जीयूआइ युक्त मैकिन्टोश प्रस्तुत किया।

1985 इंटेल ने पीसी में मल्टीटास्किंग क्षमता बढ़ाने हेतु 32-बिट चिप में 2.75,000 ट्रांजिस्टरों वाला 386 माइकोप्रोसेसर प्रस्तुत किया। अमेरिकन ऑनलाइन की

1987 तोशिबा ने पोर्टेबल कंप्यूटिंग को मशहूर करने के लिए टी 1.000 लैपटॉप्स की स्थापना की।

1988 रिकॉर्डेबल सीडी मार्केट में आई।

1989 पीसी का बाजार 12 करोड़ तक पहुंचा।

1990 जेनेवा में टिम बर्नर्स-ली ने नेटवर्किंग कंप्यूटर्स (इंटरनेट) के जरिए सूचना विस्तरित करने के लिए वर्ल्ड वाइड वेब डिवेलप किया: विंडोज सहित लैपटॉप और इंटेल का 386 एल (मोबाइल कंप्यूटर के लिए डिवेलप पहला प्रोसेसर)

1991 क्रिएटिव लैब्स ने साउंड ब्लास्टर प्रो बोर्ड,स्पीकर्स, मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर प्रस्तुत किए।

1993 इंटेल ने पेंटियम प्रोसेसर, माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 3.1 को कंज्यूमर गेम्स और लर्निंग एप्लीकेशंस के लिए प्रस्तुत किया; आइडी सॉफ्टवेर (मल्टीप्लेयर वर्जन सहित) डूम के साथ पीसी गेम्स ने रफ्तार पकड़ी।

1994 दुनिया भर में पर्सनल कंप्यूटरों को भेजे जाने की संख्या 28.8 करोड़ हुई।

1995 माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 95 और उसका ब्राउजर इंटरनेट एक्प्लोरर लांच किया और पहले चार दिनों में ही उसकी दस लाख से अधिक प्रतियां बेचीं। इसके साथ ही पीसी व्यवसायों, घरों और स्कूलोंमें पहुंचने शुरू हुए। इनकी शिपिंग 3.5 करोड़ तक पहुंची।

1996 पेंटियम प्रोसेसर कंप्यूटरों पर चलने वाली डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क (डीवीडी) की शुरुआत, पहले 3 डी ग्राफिक्स एक्सीलरेटर के मार्फत पीसी गेमिंग घरों तक पहुंचा, चार करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े और एक अरब डॉलर का ऑनलाइन आदान-प्रदान हुआ।

1997 इंटेल ने पेंटियम-II की शुरुआत की, दुनिया भर में कंप्यूटर शिपिंग 49.7 करोड़ तक पहुंची, रिकॉर्डेबल और री-राइटेबल डीवीडी आम हुई ।

1998 आरआइओ पीएमपी 300 की शुरुआत के साथ पोर्टेबल एमपी3 डिजिटल म्यूजिक तकनीक की डायमंड मल्टीमीडिया सिस्टम्स ने शुरुआत की।

1999 नेप्स्टर के आगमन के साथ यूजर्स ने ऑनलाइन संगीत शेयरिंग की शुरुआत की इंटेल ने पेंटियम-111 कंप्यूटिंग, ऑप्टिकल कंप्यूटर्स की शुरुआत की, पीसी शिपमेंट 70 करोड़ तक पहुंची। करीब 20 करोड़ लोग इंरनेट से जुड़े।

2000 इंटेल ने पेंटियम 4 निर्मित किया वर्षांत तक 40 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे थे।


2001 माइक्रोसॉफ्ट ने एक्सपी की शुरुआत की 50 करोड़ से अधिक लोग अपने घरों से इंटरनेट से जुड़े पीसी की शिपमेंट 96 करोड़ तक पहुंची।

2002 इंटेल ने लैपटॉप की डेस्कटॉप परफॉरमेंस में रहा। सुधार के लिए मोबाइल इंटेल पेंटियम 4 प्रोसेसर 4 की शुरुआत की गार्टनर डाटाक्वेस्ट के अनुसार अरबवा पीसी शिप किया गया।एचपी 95एलएक्स।

2003 पहला ईबुक रीडर सोनी लाइबर लांच |

2007 एप्पल ने आइफोन लांच किया।

2008 आइफोन के लिए ईबुक्स सहित एप्पल एप्स्टोर लांच किया गया।


विकास का क्रम






पहली पीढ़ी (मैकेनिकल या इलैक्ट्रोमैकेनिकल) कैलकुलेटर्स, डिफरेंस इंजिन प्रोग्रामेबल डिवाइसेज, एनालेटिकल इंजिन

दूसरी पीढ़ी (वैक्यूम ट्यूब)

कैलकुलेटर्स आइबीएम 604 यूनिवेक 60 प्रोग्रामेबल डिवाइसेज, कोल्लोजस, ईनिएक, एडसैक, यूनिवैक 1. आइबीएम 701/702/650/जेड22

तीसरी पीढ़ी (डिस्क्रीट ट्रांजिस्टर्स एवं एसएसआइ एमएसआइ, एलएसआइ इंटिग्रेटेड सर्किट्स) मेनफ्रेम्स आइबीएम 7090, सिस्टम 360

मिनीकंप्यूटर, पीडीपी-8, सिस्टम 36

चौथी पीढ़ी (वीएलएसआई इंटीग्रेटेड सर्किट) माइक्रो कंप्यूटर: वैक्स, आईबीएम सिस्टम -1

4-बिट : इंटेल 4004/4040

8-बिट : इंटेल 8008/8080/मोटोरोला 68 ००/जिलॉग 280

16-बिट : इंटेल 8088/जिलॉग जेड 8000 32-बिट : इंटेल 80380/पेंटियम/मोटोरोला 68

000

64-बिट : x86-64/पावर पीसी/एमआइपीएस / स्पार्क

एम्बेडेड : इंटेल 8048, 8051

पर्सनल कंप्यूटर : डेस्कटॉप, लैपटॉप, सोहो, यूएमपीसी, टेबलेट पीसी, पीडीए

पांचवीं पीढ़ी फिलहाल प्रयोगधर्मी या सैद्धांतिक कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर कार्य चल रहा है। इनमें से कुछ हैं क्वांटम कंप्यूटर्स, डीएनए

टैब्लेट्स




टैब्लेट्स का विकास क्रम

1972 डायनाबुक, एलेन केय ने पहली टैब्लेटका वेष्कार किया जो एक सिद्धांत के तौर पर


1987 कैम्ब्रिज जेड88 : लिनस राइट-टॉप

1990 ग्रिडपैड 1910

1991 एमएमडॉस और कीबोर्ड वाला एक पॉकेट पीसी

एचपी 95एलएक्स ।

1992 ग्रिड 2260

1993 एप्पल का टाइप रिकगनिशन और 6 इंची न्यूटन पीडीए: टैंडी द्वारा निर्मित और कैसियो द्वारा बेचा
जाने वाला पाम ओएस डिवाइस जूमर ।

1999 न्यूवोमीडिया ने रॉकेट ईबुक निर्मित किया। 2001 विंडोज एक्सपी टैब्लेट पीसी वर्जन पर चलने वाला पहला डिवाइस बना वाया टैब्लेट ।

2003 एफएससी लाइफबुक में नोटबुक और टचस्क्रीन
क्षमता वाले फंक्शन आए। 2005 नोकिया 770 इंटरनेट टैब्लेट ।

2006 सोनी यूएक्स, सैमसंग क्यू 1 2007 अमेजन की ई-इंक तकनीक वाली ईबुक काइंडली ने बाजार में अपना अलग स्थान बनाया: एप्पल के आइफोन ने पीडीए का स्थान लिया।

2010 एप्पल ने डिवाइस श्रेणी में आइपैड-1 के साथ एक क्रांतिकारी कदम रखा; एंड्रॉयड, डैल स्टीक, व्यूसॉनिक व्यूपैड, ऑलिवपैड पर सफलता से चला गैलेक्सी टैब ।

2011 आइपैड 2: मोटोरोला जूम, ब्लैकबेरी प्लेबुक. एचपी टचपैड, एलजी ऑटिमस, एचटीसी फ्लायर ।
टैब्लेट्स पोर्टेबल कंप्यूटिंग क्षेत्र का ही हिस्सा हैं। लैपटॉप, नोटबुकों और नेटबुक्स ने कंप्यूटरों को छोटा और अधिक सुगठित बना दिया है, लेकिन उनकी कार्यविधि या हमारे उस पर काम करने के तरीके में अधिक फर्क नहीं आया। अधिकाधिक यह यूजर्स की बदलती जरूरतों को लेकर कुछ आरामदेह व्यवस्था जैसा ही था। परंतु टैब्लेट्स के साथ कीबोर्ड और माउस का स्थान मल्टीटच इंटरफेस ने ले लिया। प्रतिस्पर्धा के बढ़ने पर टैब्लेट्स अब वह सब दे रही हैं जो आपको चाहिए यानी एक नॉन-स्टाइल्स आधारित टच स्क्रीन जो सटीक और तुरंत उत्तर देती है, इसकी बैटरी लाइफ खासी लंबी है; लाने-ले जाने में बेहद आसान और इसमें वायरलेस कनेक्टिविटी भी है। अभी टैब्लेट का विचार ही लेकिन नया है वहीं इसने हार्डवेयर कंपोनेंट्स और सॉफ्टवेयर विकास में भी
के रास्ते खोद ए हैं। को आधार बनाकर कई अन्य को भी और प्रचार गिला है। कुछ नई और कई मेट्स और कैमरे और एंड्रॉयड के 3.0 वर्जनमा के नए प्लेट का भी इस्तेमाल करता है। तकनीक जगत प्लेट के इस कार से अभिभूत यह पोर्टेबल कंप्यूटिंग का स्वरूप बदलेगा या ई दीडर्स या नेटबुक्स की तरह इसका चलन समय के साथ धूल हो जाएगा, यह तो समय ही बता सकता है।



टच स्कीन सिस्टम


First Touch Computer

स्कील एक कीबोर्ड या माउस की तरह मूलतः एक इनपुट डिवाइस होती है। यह एक कंप्यूटर डिस्प्ले स्क्रीन होती है जो मानव स्पर्श के प्रति बहुत संवेदनशील होती है और इससे यूजर स्क्रीन पर तस्वीरें या शब्दों को कर अपना काम कर सकता है। यह एक टच कैंसर एक कंट्रोलर कार्ड और एक सॉफ्टवेयर ड्राइवर बनी होती है।

टचस्क्रीन के इस्तेमाल टचस्क्रीन का इस्तेमाल इन्फॉर्मेशन कियॉस्कस, कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण सकरणों और माउस या कीबोर्ड इस्तेमाल में दिक्कत का सामना करने वाले व्यक्तियों की मदद के लिए होता है।
टचस्क्रीन का इस्तेमाल अनेक एप्लीकेशंस में होता है जिनमें प्वाइंट ऑफ सेल सिस्टम्स पब्लिक इन्फॉर्मेशन डिल्ले, इंडस्ट्रियल कंट्रोल सिस्टम्स आदि हैं। कई तरह की टचस्क्रीन तकनीकें हैं :

रेजिस्टिव : एक जस्टिव टचस्क्रीन पैनल में कई श्रेणियां होती है।

सर्फेस कॉस्टिक वेव सर्फेस एकॉस्टिक वेव (एसएडब्ल्यू) मीडिया प्लेयर रियलप्लेयर / मोबोप्लेयर कनीक अल्ट्रासॉनिक वेव्स का इस्तेमाल करती है जो स्क्रीन पैनल तक पहुंचती है।

कैपेसिटिव ऐसे पैनल्स इंडियन टिन ऑक्साइड युक्त होते हैं जो सेंसर देश स्क्रीन की सतह पर एक मॉड्युलेटेड लाइट बीम में आने वाली रुकावट को वर्टिकल या हॉरिज़ॉटल सेंसरों के ऐरे के जरिए पता लगाता है। स्ट्रेन ऑफिस सूट : गूगल डॉक्स, माइक्रोसॉफट 365 पंज इसमें स्क्रीन चारों कोनों से स्प्रिंग मउंटेड होती है। उसको टच करने पर उससे होने वाले छितराव का कलन होता है। इसके अतिरिक्त कई अन्य तकनीकें वैसे ऑप्टिकल इमेजिंग, डिस्पर्सिव सिग्नल टैक्नॉलजी. कॉस्टिक पल्स रिकगनिशन भी हैं, साथ ही फरस्ट्रेटेड टॉटल इंटरनल रिफ्लैक्शन और डिफ्यूज्ड लेजर मी है।

रूबिन रिच माइनर निकसीय और किस ने की थी गूगल ने वायरलेस क्षेत्र में कदम रखने के लिए एंड्रोइडास इटवास को खरीद लिया था की खासियत यह है कि नई के साथ भी आसानी से जोड़ा जा सकता है।

एंड्रॉयड एप्लीकेशन




मोबाइल सॉफ्टवेयर होते हैं जिन्हें एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलाया जा सकता है और जो सेलफोन टैब्लेट्स एवं अन्य मोबाइल उपकरणों पर इस समय सबसे प्रचलित प्लेटफॉर्म्स में से एक है।
एंड्रॉयड के आने के बाद 2,00,000 से अधिक एंड्रॉयड एप्लीकेशस विकसित हो चुकी है और मार्किट से डाउनलोड की जा सकती है परंतु यहाँ
प्रेषित एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर स्टोर सब कुछ मुफ्त नहीं मिलता। शुल्करहित श्रेष्ठ सेवाओं में शामिल हैं।
म्यूजिक प्लेयर एवं ऑर्गेनाइजर एस्ट्रो प्लेयर वीडियो शेयरिंग यूट्यूब रेडियो ब्रॉडकास्टिंग ट्यूनइन रेडियो लगातार बिजली प्रवाहित करते हैं। इन्फ्रारेड : यह रिंगटोन चेंजर जेज इमेज व्यूअर क्विकपिक/जस्टपिक्चर्स !
इमेज एडिटर फोटोशॉप एक्सप्रेस
ई-बुक रीडर लघुता रीडर एंटी-मालवेयर लुकआउट

ब्राउजर्स एवं सर्च इंजिन




ब्राउज़र एक ऐसी एप्लीकेशन होती है जो हमें वेबपेज देखने और आपस में ऑनलाइन जुड़ने में मदद करती है। कई फीचर्स से संपन्न विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए
विभिन्न ब्राउजर हैं। ऑल पर्पज सर्च इंजिन गूगल, याहू! सर्च, ब्लिंग, अल्टाविस्टा, सर्चडॉटएओएल लाइव सर्व फिल्क्सफलक्स, टॉरेंट्ज़, आइसरॉकेट, टेक्नोराटी. स्फीयर, लायकॉस, क्यूइल, कॉस्मिक्स......
इसके अतिरिक्त कई ऐसे सर्च इंजिन हैं जो विशेष
बाइल एप्लीकेशंस और लिनक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाला पहला मुफ्त ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म है एंड्रॉयड। इसकी शुरुआत अक्तूबर 2003 में एंड्रयूड इंव में हुई थी जिसकी स्थापना एंडी

रामे विशेष दित रिसोर्स कोड शॉपिंग स्कूल, रियल एस्टेट आर बुक्स, ईल फोरम, लोकल मानचित्र गलीय समाचार वीडियो आदि।

यूट्यूब प्रति मिनट यूटयूब पर 36 घंटे अवधि के वीडियो अपलोड होते हैं यह वीडियो शेयरिंग वेबसाइट ग्लोबल सर्व अपनी गूगल इन्कॉर्पोरेशन के अधीन आती है। 1960 के दशक की क्लासिक फिल्मों से लेकर कई नई भारतीय फिल्में इस पर मौजूद है यह वेबसाइट हिन्दी फिल्मों को ऑनलाइन लाने की कवायद में जुटी है। 2010 में 5.5 करोड़ लोगों ने यूट्यूब पर इंडियन प्रीमियर लीग के सीधे प्रसारण का आनंद उठाया था. जिससे ऑनलाइन मीडिया के विभिन्न फॉर्मेट्स से जुड़ी सूचना के मौजूद होने का पता चलता है। प्रतिदिन सूचना के निर्माण के बार में जानना ही अपने आप में हैरान कर देता है। 2010 में 8.00,000 पोटाबाइट्स डाटा का गठन हुआ था। एक पीटाबाइट में दस लाख गीगाबाइट्स होते हैं. यानी इस समस्त सूचना को स्टोर करने के लिए 75 अरब आईपैड चाहिए। इसके अतिरिक्त, प्रतिदिन सी अरव नॉन-स्पैम ईमेल और आइएम (इंस्टेंट मैसेज) भेजे जाते हैं।

विकीपीडिया

जनवरी 2001 में जिमी वेल्स के आगमन के साथ उस समय एक विकी आधारित एन्साइकलोपीडिया मिली। की शुरुआत हुई थी जब दुनिया भर में इंटरनेट के दीवाने वेब 2.0 इस्तेमाल करने लगे थे उस वर्ष के अंत तक 20.000 लेख दर्ज कर दिए गए थे। वहीं जुलाई 2011 तक इसके पृष्ठों की संख्या 1.12 अरब तक हो चुकी थी और अगस्त 2010 में यही संख्या 21.060.869 थी। इसके अन्य सेक्शंस में जंक मेल और एंटी फिशिंग फिल्टर्स की सुविधाएं निकीन्यूज, विकीश्नरी (1.464,000), विकीकोट्स, विकीबुक्स, विकीवर्सिटी (मुक्त समग्र शिक्षा हेतु), विकीकॉमन (मीडिया), विकीसोर्स (ऑनलाइन लाइब्रेरी रजिस्टर्ड यूजर्स 12.819,803 तथा मासिक लिए शुरू हुई। विजिटर्स 7.8 करोड़।

विचारों वाले दूसरे लोगों के साथ बांटने की स्वतंत्र

और विभिन्न अकाउंट्स से मेल प्राप्ति की सुविधा ॥ 2004 अमरीकी फेडरल ट्रेड कमीशन ने ईमेल स्पैम कानूनों को कूटबद्ध किया। आदि) आलेखों की संख्या 3,684,512 और सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक जनता के

सोशल नेटवर्क्स

ईमेल की शुरुआत

1962 क्यूबन मिसाइल संकट के बाद पेंटागन ने एक ऐसे कार्यक्रम को मंजूरी दी थी जिसका लक्ष्य न्यूक्लियर
हमले से बचाव था।

1965 मासाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी (एमआइटी) ने पहली बार मेलबॉक्स नामक एक

1969 इस सिस्टमको पर प्रोजेक्ट एजेंसी नेटवर्क या आने के नाम से जाना गया था।


1995 ग्लॉब डॉटकॉम के माध्यम से लोगों को अपने अनुभवों को ऑनलाइन प्रकाशित करने और समान

1997 एओएल इंस्टेंट मैसेंजर की लोप हुआ। सिक्सडिग्रीज डॉटकॉम लांच हुआ।

2000 माइक्रोसॉफ्ट ने मैक के लिए एंटुरेज मेल की शुरुआत |

2007 गूगल ने दुनिया भर में जीमेल सुविधा प्रदान की।



2010 विंडोज फोन 7 के लिए आउटलुक मोबाइल और मैक 2011 के लिए आउटलुक की शुरुआत।

2011 एसोसिएटेड प्रेस की स्टाइलबुक ने ई-मेल को ईमेल में बदला।

2011 गूगल प्लस मात्र 4 साइलीस के साथ शुरू हुआ - होम, फोटो, सर्कल्स, स्पार्क्स और हैंगआउट्स) 2012 गूगल के 12 वर्ष पूरे ।


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